Pestle Weed College of Information Technology

कभी रोता तो कभी मुस्कराता मैं, कभी किसी से मिलता तो कभी विछुड़ जाता मैं,

कभी किसी दोस्त की तलाश, कभी जीवन जीने की इक आस, कभी किसी नन्हे को देख, भूतकाल में जाता मैं, कभी रोता
तो कभी मुस्कराता मैं।

कभी सोचता मन्दिर जाऊँ, कभी सोचता जाऊँ मस्जिद, पर कभी अधर्मी ही होकर, शान्ति प्राप्त कर पाता मैं, कभी रोता
तो कभी मुस्कराता मैं।

कभी किसी की रोटी की जंग, कभी किसी का दुःखों का संग, कभी असहायों के जख्मों पर, दवा लगाना चाहता में, कभी
रोता तो कभी मुस्कराता में।

कभी सोचता खून बहा लूं, कभी सोचता जां ले लूँ, मगर लहू अपना सा देख, क्षमादान कर जाता मैं, कभी रोता तो कभी
मुस्कराता मैं।

कभी सोचता तीरथ करलूँ, कभी सोचता काशी जाऊँ, पर माता-पिता की सेवा से, तीरथ का फल पाता मैं, कभी रोता तो
कभी मुस्कुराता मैं।

धर्मेंद्र बर्त्वाल
असिस्टेंट प्रोफेसर
पेशल वीड कॉलेज
देहरादून