उत्तराखंड में भू कानून की आवश्यकता कई दृष्टिकोणों से महत्वपूर्ण है। राज्य की भौगोलिक स्थिति, जनसंख्या
वृद्धि और पर्यावरणीय संवेदनशीलता को देखते हुए यह आवश्यक हो जाता है कि भूमि उपयोग और प्रबंधन के
लिए स्पष्ट नियम बनाए जाएं।
पहले, उत्तराखंड की भूमि का अत्यधिक शहरीकरण और अनियोजित विकास हो रहा है, जिससे पर्यावरणीय
संतुलन बिगड़ रहा है। भू कानून लागू होने से भूमि का समुचित उपयोग सुनिश्चित किया जा सकेगा और
अनियोजित निर्माण को रोका जा सकेगा।
दूसरे, स्थानीय समुदायों के अधिकारों की सुरक्षा भी आवश्यक है। पहाड़ी क्षेत्रों में भूमि के सीमित संसाधनों के
कारण, स्थानीय निवासियों को अपनी जमीन पर अधिकारों की रक्षा की आवश्यकता है। भू कानून से उन्हें
अपनी भूमि का सही और सुरक्षित उपयोग करने का अवसर मिलेगा।
तीसरे, प्राकृतिक आपदाओं का खतरा, जैसे भूस्खलन और बाढ़, उत्तराखंड में लगातार बढ़ रहा है। उचित भू
कानूनों से भूमि के विकास और उपयोग की दिशा में सावधानी बरती जा सकेगी, जिससे प्राकृतिक आपदाओं के
प्रभाव को कम किया जा सकता है।
अंत में, भू कानून की आवश्यकता एक समग्र विकास दृष्टिकोण को बढ़ावा देने के लिए भी है, जो कि आर्थिक,
सामाजिक और पर्यावरणीय पहलुओं को संतुलित करता है। इस प्रकार, उत्तराखंड में भू कानून का प्रभावी
क्रियान्वयन आवश्यक है।
प्रतीक नेगी,
सहायक प्राध्यापक, भूगोल
PWCIT